भारत में मतदान करने का अधिकार





हमें मतदान क्यों करना चाहिए

भारत में 18 साल के नागरिक को मतदान करने का एक संवैधानिक अधिकार प्राप्त है। हालांकि, यह इसे वैकल्पिक भी बनाता है। मतदाताओं के बीच विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में, मतदान दिवस को आराम का दिन (या छुट्टी) मनाने की प्रवृत्ति रही है। मतदान न करने पर आपको तुरन्त कोई नुकसान नहीं होता लेकिन इसके दूरगामी परिणाम हानिकारक होते हैं।

भारत के प्रत्येक नागरिक को मतदान करने के निम्न लिखित कारण हैं।

परिवर्तन का कारक:

मतदान परिवर्तन का कारक है। अगर भारत के लोग सोचते हैं कि सत्तारूढ़ सरकार अपने कर्तव्यों का संतोषजनक ढंग से पालन नहीं कर रही है, तो वे इसके खिलाफ मतदान करके इनको बाहर का रास्ता दिखा सकते हैं। इसके विपरीत अगर आप मतदान नहीं करते है तो आप आने वाले पांच वर्षों के लिए एक अयोग्य उम्मीदवार को चुन लेते हैं।

प्रत्येक मत का महत्व:

इतनी आबादी वाले देश में, एक मतदाता यह सोचता है कि उसके एक वोट से कोई फर्क नहीं पड़ता। हालांकि यह संतुलन तब बिगड़ जाता है जब यह एक राष्ट्रीय दृष्टिकोण बन जाता है और लाखों, शायद करोड़ों लोग अपना मतदान नहीं करते। व्यक्ति अपने मत का उपयोग करके मनचाहे उमीम्दवार को जीत नहीं दिला सकता लेकिन अपने मत का प्रयोग करके अनुपयुक्त पार्टी के उमीम्दवारों के मतों में कमी अवश्य कर सकता है। अंत में यह केवल मतदाता है जिसे भ्रष्ट शासन के माध्यम से पीड़ित होना पड़ता है।

सुनवाई

मतदान प्रत्येक नागरिक को अभिव्यक्ति का मार्ग प्रदान करता है। भारत जैसे बड़े देश में अलग-अलग क्षेत्रों में कई प्रकार की समस्याएं व प्राथमिकताएं होती हैं। मतदान की प्रक्रिया प्रत्येक नागरिक को मनचाहे उम्मीदवार का चयन करने का अधिकार देती है जिसके माध्यम से मतदाता उसे उद्देश्यों के लिए उपयुक्त मान कर वोट कर सकते है। हालांकि यह सच है कि चुनाव का नतीजा शायद ही कभी आपके वोट डालने के अनुसार आए। परन्तु मतदान की प्राक्रिया से आपको अपनी बात रखने का मौका दिया जाता है।

मतदान एक जिम्मेदारी :

मतदान करना जितना हमारा अधिकार है उतनी ही हमारी जिम्मेदारी भी है।

भारतीय लोकतंत्र के भवन का निर्माण मतदान के आधार पर हुआ है। अगर व्यक्ति अपने मत को लेकर असमंजस की स्थिति में हैं (सहीं उम्मीदवार का चयन करने में उसका विवेक सक्षम नहीं है) तो वह ऐसी स्थित में मतदान न करे क्योकि यह हमारे लोकतांत्रिक गणराज्य के अस्तित्व को खतरे में डाल देगा।

मतदान प्रतिष्ठा के रूप में:

अंततः हमें मतदान और चुनावों का प्रचलन करने वालें पूर्वजों को सम्मान देना चाहिए। वोट देने के अधिकार का प्रयोग करके, नागरिक देश के इतिहास के लिए अपना सम्मान प्रदर्शित करते हैं।

इस बात को अस्वीकारा नहीं जा सकता है कि भारत में हालिया लोकतांत्रिक अनुभव उत्साहजनक नहीं है। पिछले कई सालों से भारत अनियंत्रित भ्रष्टाचार, अनिश्चित अर्थव्यवस्था और अस्पष्ट विदेश नीति के साथ संघर्ष कर रहा है। चुनाव परिणाम आने पर कई अप्रभावी सरकारें सत्ता में आईं, जिन्होंने फायदे से ज्यादा नुकसान किया है। हालांकि मतदान न करने से केवल स्थिति और खराब हो जाती है। देश के सभी नागरिकों को एक अच्छे व श्रेष्ठ उम्मीदवार का निर्णय लेने में सक्षम होना चाहिए। चुनावों की व्यवस्था में सुधार करने के लिए हमें अपने अधिकारों का प्रयोग करना चाहिए तभी चुनाव व्यवस्था में सुधार हो पाएगा।
Last Updated on September 25, 2018