आनंदीबेन पटेल की जीवनी



Anandiben Patel

आनंदीबेन पटेल

नाम आनंदीबेन पटेल
जन्म तिथि 21 नवंबर, 1941
जन्म स्थानगुजरात, भारत
पिता का नामजेठाभाई पटेल
माता का नाममेनबेन पटेल
शिक्षाएमएससी, एमईडी, (स्वर्ण पदक विजेता)
राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी
नागरिकताभारतीय
राष्ट्रीयताभारतीय
पति मफतलाल पटेल (तलाक हो चुका है)
बच्चेअनार पटेल (बेटी), संजय पटेल (बेटा)
व्यवसायराजनेता, शिक्षक
पद
  • मध्यप्रदेश की राज्यपाल
  • गुजरात की 15 वीं मुख्यमंत्री
  • गुजरात विधान सभा की सदस्य
  • गुजरात की राज्यसभा की सांसद
  • मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की राज्यपाल

आनंदीबेन पटेल के बारे में


आनंदीबेन पटेल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से संबंधित एक भारतीय राजनेता हैं। वे गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री हैं। आनंदीबेन पटेल गुजरात राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री थीं। 2007-2014 के दौरान आनंदीबेन ने गुजरात सरकार में, राजस्व, सड़क, भवन, शहरी विकास तथा शहरी आवास और अन्य कई विभाग संभाले हैं। राजनीति में शामिल होने से पहले, वे गणित और विज्ञान की शिक्षिका और बाद में अहमदाबाद के मोहिनाबा कन्या विद्यालय में प्राचार्या थीं।

आनंदीबेन पटेल का व्यक्तिगत जीवन और शिक्षा


आनंदीबेन पटेल का जन्म 21 नवंबर 1941 को गुजरात के मेहसाणा जिले के खरोद गांव में जेठा भाई पटेल के यहाँ हुआ था। इन्होंने अहमदाबाद में एनएम हाई स्कूल से शिक्षा ग्रहण की है, यह वही स्कूल है जहां से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अध्ययन किया है। आनंदीबेन जिस समय अध्ययन कर रहीं थी, उस समय इस स्कूल में केवल तीन ही छात्राएं थीं। ये अपने विद्यार्थी जीवन में लगातार तीन वर्षों तक एथलेटिक्स (खेल कूद) में जिला स्तर की चैंपियन रही हैं।1960 में जब इन्होंने बीएससी करने के उद्देश्य से एमजी पांचाल साइंस कॉलेज में प्रवेश लिया था तो ये पूरे कॉलेज में इकलौती छात्रा थीं। आनंदीबेन पटेल को एथलेटिक्स में उत्कृष्ट उपलब्धि के लिए “वीर बाला” पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

आनंदीबेन पटेल अपनी पहली नौकरी के रूप में महिला विकास गृह में शामिल हुई, जोकि महिलाओं के सुधार की दिशा में काम करती है। इस स्थान पर, उन्होंने विधवाओं को विभिन्न व्यावसायिक पाठ्यक्रम पढ़ाने का कार्य किया।

आनंदीबेन पटेल ने 26 मई 1962 को माफतभाई पटेल से विवाह किया। इनके संजय और अनार दो बच्चे हैं। इनके पति सरसपुर आर्ट एंड कॉमर्स कॉलेज में प्रोफेसर थे। वे 1965 में अपने पति के साथ अहमदाबाद चली गई जहां इन्होंने विज्ञान में मास्टर की उपाधि प्राप्त की। वहां, उन्होंने अपने विस्तारित परिवार के सभी बच्चों को शिक्षा प्रदान करने का प्रभार संभाला।

मोहिनाबा विद्यालय की प्राचार्या बनने से पूर्व, आनंदीबेन उच्च माध्यमिक में छात्रों को विज्ञान और गणित पढ़ाया करती थीं।

आनंदीबेन पटेल का राजनीतिक करियर


आनंदबेन पटेल का राजनीति में प्रवेश करना एक दुर्घटना का परिणाम था जो 1987 में स्कूल पिकनिक के दौरान हुआ था। जब ये मोहिनाबा विद्यालय की प्राचार्य थीं, तो दो डूबने वाली लड़कियों को बचाने के लिए ये सरदार सरोवर जलाशय में कूद गईं थी इनके इस वीरता पूर्ण कार्य के लिए, इन्हें वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। आनंदबेन पटेल के साहसिक कार्य और उनकी लोकप्रियता के कारण भाजपा के प्रमुख अधिकारी ने सुझाव दिया कि उन्हें पार्टी में शामिल होना चाहिए। प्रारंभ में अनिच्छुक होने के बाद भी, वह समाज की सेवा करने और बड़ी संख्या में लोगों तक पहुंच बनाने के विचार से भाजपा में शामिल हो गईं।1987 में पार्टी में शामिल होने पर इन्हें गुजरात राज्य में महिला मोर्चा का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।

आनंदीबेन ने विरामगाम जिले में बर्ड-फ्लू का प्रकोप होने पर, स्थानीय लोगों की सहायता करने के लिए वहाँ पर उन्होंने कई सप्ताह बिताए थे और इस बीमारी को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने के लिए सरकारी अधिकारियों पर दबाव भी डाला था। यह एक राजनेता के रूप में इनका पहला उल्लेखनीय कार्य था। 1992 में ये वरिष्ठ भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी की गुजरात की एकता यात्रा में भी शामिल हुईं थी और इस यात्रा में शामिल होने वाली ये अकेली ही महिला सदस्य थीं।

1994 में, आनंदीबेन पटेल को गुजरात से राज्यसभा के लिए चुना गया और एक सांसद के रूप में उन्होंने उसी वर्ष चीन में बीजिंग में आयोजित चौथे विश्व महिला सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। 1998 में, पटेल ने राज्यसभा से इस्तीफा देने के बाद मंडल निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले अपने पहले विधानसभा चुनाव में चुनाव भी लड़ा। केशुभाई पटेल की सरकार में उन्हें राज्य मंत्री नियुक्त किया गया था। बाद में, उन्हें गुजरात की कैबिनेट मंत्री के रूप में शिक्षा का संविभाग दिया गया था। शिक्षा से संबंधित चिंताओं को दूर करने के लिए, आनंदीबेन पटेल ने शिक्षा मंत्री के रुप में अपने पहले कार्यकाल में 'लोक दरबार' की शुरुआत की

आनंदबेन पटेल ही वह मंत्री हैं जिन्होंने स्कूलों में नामांकन बढ़ाने के उद्देश्य से शिक्षा विभाग के प्रमुख कार्यक्रम “शाला प्रवेशोत्सव” की शुरुआत की है। इस कार्यक्रम ने स्कूलों में नामांकन को बढ़ावा दिया।

2002 और 2007 में, नरेंद्र मोदी के शासन में आनंदीबेन पटेल ने दोनों बार गुजरात विधानसभा चुनावों में, विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा; वे दोनों चुनावों में विजयी हुई और अपने दूसरे कार्यकाल में कैबिनेट मंत्री के रूप में शिक्षा विभाग में पदस्थ रही और उन्हें तीसरे कार्यकाल के दौरान सड़क और भवन और राजस्व विभाग प्रदान किया गया।

किसानों के लाभ के लिए नर्मदा नहर के साथ पाटन को जोड़ना, क्षेत्र में 174 बांधों का निर्माण, शुद्ध पीने के पानी पाटन के नागरिकों को प्रदान करने के साथ सबसे बड़े जल निस्पंदन संयंत्रों में से एक का निर्माण और 700 कि.मी. से अधिक लंबी सड़क नेटवर्क का निर्माण तथा और भूमिगत जल निकासी व्यवस्था निर्वाचन क्षेत्र के साथ पटेल के दस साल के लंबे सहयोग की कुछ उल्लेखनीय उपलब्धियां थीं। आनंदबेन पटेल ने घाटलोडिया विधानसभा क्षेत्र से 2012 के विधानसभा चुनावों में चुनाव लड़ा। वह पूरे राज्य में सबसे बड़ी जीत मार्जिन 1,75,000 से भी अधिक मतों से जीती थीं।

गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के भारत के प्रधानमंत्री के रूप में निर्वाचित होने के बाद 24 मई 2014 को आनंदीबेन पटेल ने गुजरात की 15 वीं मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। इन्होंने राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति को बिगाड़ने वाले आरोपों के बाद अगस्त, 2016 में अपनी पद से इस्तीफा देने की पेशकश की। भाजपा ने इनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया। वर्तमान समय में आनंदीबेन मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की राज्यपाल है। छत्तीसगढ़ के राज्यपाल बलरामजी दास टंडन के निधन के बाद उनको प्रदेश का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया।

आनंदीबेन पटेल की पहचान और पुरस्कार

  • महेसन जिला में स्कूल खेल प्रतियोगिता के आयोजन में प्रथम स्थान हासिल करने के लिए ‘वीर बाला’ पुरस्कार।
  • 1987 में स्कूल पिकनिन के दौरान डूबने वाली दो स्कूल की लड़कियों के जीवन को बचाने के लिए वीरता पुरस्कार।
  • 1988 में गुजरात में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक के लिए गवर्नर पुरस्कार।
  • 1989 में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक के लिए राष्ट्रपति का पुरस्कार।
  • 1999 में मुंबई के पटेल जागृति मंडल द्वारा 'सरदार पटेल' पुरस्कार।
  • 2000 में श्री तपोधन ब्रह्म विकास मंडल द्वारा 'विद्या गौरव' पुरस्कार।
  • 2005 में पटेल समुदाय द्वारा ‘पाटीदार शिरोमणि'
Last Updated on 7 Februaryr, 2019