संसदीय सचिव





संसदीय सचिव एक उच्च रैकिंग का सरकारी पद है। संसदीय सचिवों की नियुक्ति भारत के प्रधान मंत्री करते हैं। संसदीय सचिव का प्रमुख कार्य कैबिनेट मंत्रियों,यहां तक कि प्रधान मंत्री की भी सहायता करना है। एक संसदीय सचिव केकई विभागीय और संसदीय कर्तव्य भी होते हैं। वे कैबिनेट मंत्रियों के नेतृत्व में बारीकी से काम करते हैं और इसके अतिरिक्त, कार्यों में उनके पास विभाग से संबंधित सार्वजनिक और सदन के कर्तव्यों का पालन करनाभी होता है।

सदन के कर्तव्य

सदन में संसदीय सचिव मंत्रियों, सीनेटरों और अन्य सदन के सदस्यों के बीच कड़ी के रूप में कार्य करते हैं।वे सरकारीबैठकों केसंपर्कों को मजबूत बनाने में सहायता करते हैं। वे कैबिनेट सदस्यों के कार्यो के संबंध में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।सदन में मंत्री की अनुपस्थिति होने पर नीतिगत सवालों के जवाब देना उनकी व्यक्तिगत जिम्मेदारी है।

अन्य भूमिकाएं और जिम्मेदारियां:

  • सदस्यों द्वारा वक्तव्य तैयारी करना।कई सदस्य इस उद्देश्य के लिए समय नहीं दे पाते हैं।
  • कार्यस्थगन कार्यवाही के दौरान, वे एक मंत्री की ओर से बात-चीत भी कर सकते हैं।
  • कुछपरिस्थितियों वे में कैबिनेट मंत्री की ओर से कार्य भी कर सकते हैं।

जबकि संसदीय सचिवों की कई जिम्मेदारियां और अधिकार होते हैं लेकिन कुछ प्रमुख निर्णयों में वे शामिल नहीं होते हैं। संसदीय सचिवसरकारी बिलों का प्रतिनिधित्व करने और अपने निजी सदस्य के प्रस्ताव या बिल को पेश करने में अपात्र होता है। कई राज्यों में संसदीय सचिव पद का चयन होता है। पंजाब, असम, मणिपुर, मिजोरम, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश जैसे कुछ राज्य हैं जहां संसद सचिवों नियुक्ति है।

Last Updated on October 20, 2018