नारायणपुर निर्वाचन क्षेत्र
बस्तर संभाग का नारायणपुर जिला आदिवासियों की परंपरा और प्राकृतिक संसाधनों, प्राकृतिक सुंदरता और सुखद माहौल से समृद्ध है। यह क्षेत्र घने जंगल, नदी, पहाड़, झरने, प्राकृतिक गुफाओं से घिरा हुआ है, जो लोगों के आकर्षण का केंद्र रहा है। यहां कला और संस्कृति बस्तरिया के मूल्यवान प्राचीन गुण हैं। इतना सब होने के बावजूद इसकी पहचान नक्सलवाद के कारण है। 2007 में बना यह जिला कभी बुरी तरह से नक्सल प्रभावित था। पिछले कुछ वर्षों में हालात बदले हैं, लेकिन अभी खतरा खत्म नहीं हुआ है। जिले में सिर्फ नारायणपुर विधानसभा ही एकमात्र सीट है। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस सीट से भाजपा लगातार जीत दर्ज कर रही है।भाजपा भले ही राज्य बनने के बाद से यहां लगातार जीत रही है, लेकिन वोट शेयर के लिहाज से सफर उतार- चढ़ाव भरा है। राज्य बनने के बाद हुए पहले चुनाव में पार्टी को करीब 46 फीसद वोट मिले थे। 2008 में हुए दूसरे चुनाव में पार्टी के खाते में कुल मतदान का करीब 55 फीसद हिस्सा आया, लेकिन 2013 में पार्टी जीतने में सफल तो रही, लेकिन वोट शेयर घटकर 49 फीसद पर आ गया। हालांकि यह तब की स्थिति है, जब भाजपा बस्तर संभाग की ज्यादातर सीट हार गई थी।
जिले की जनता कांग्रेस से लगातार दूरी बनाए हुए हैं। इसका असर पार्टी के खाते में आने वाले वोट शेयर में साफ दिख रहा है। 2006 में पार्टी को करीब 36 फीसद वोट मिले, जो भाजपा के वोट शेयर से करीब 10 फीसद कम था। 2008 में कांग्रेस का वोट शेयर छह फीसद गिरकर 30 पर आ गया, जबकि भाजपा 50 के पार पहुंच गई। वहीं, 2013 में केवल 37 फीसद ही वोट हासिल कर पाई, यानी इस बार भी भाजपा के वोट शेयर से करीब 10 फीसद कम।
2013 में मौजूदा भाजपा विधायक केदार कश्यप ने यहां पर कांग्रेस के चंदन सिंह को करीब 12 हजार वोटों से मात दी थी। वहीं इससे पहले भी उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार को 22 हजार वोटों से मात दी थी।
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अंतिम बार 2 नवंबर, 2018 को अपडेट किया गया