जबलपुर पश्चिम,मध्यप्रदेश
जबलपुर पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले की एक महत्वपूर्ण निर्वाचन सीट है। जिले की सभी आठ पाटन, बारगी, जबलपुर पूर्व, जबलपुर उत्तर, जबलपुर छावनी, जबलपुर पश्चिम, पनागर, सिहोरा विधानसभा सीटों में जबलपुर पश्चिम सबसे प्रमुख सीट है। नर्मदा किनारे बसा जबलपुर का पश्चिम विधानसभा क्षेत्र शहरी क्षेत्र है। यह मतदाताओं के हिसाब से जिले की सबसे बड़ी सीट है। जबलपुर पश्चिम विधानसभा सीट में 276 मतदान केंद्र हैं।2011 की जनगणना के अनुसार सीट की कुल आबादी 2,18,219 है जो कि पूरी तरह से शहरी है। सीट ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र है और सिख, ठाकुर, यादव भी रहते हैं। इस विधानसभा में संभ्रांत और नौकरीपेशा मतदाता हैं। इस जनसंख्या में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की हिस्सेदारी क्रमशः 14.7 और 6.18 फीसदी है। 2018 की मतदाता सूची के अनुसार 2,30,475 मतदाता 275 बूथों पर जनप्रतिनिधियों के भाग्य का फैसला करेंगे। 2013 के विधानसभा चुनावों में 65.13 फीसदी मतदाताओं ने वोट डाले थे।।
सीट का चुनावी महत्व
मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा के विरुद्ध पेड न्यूज मामले में भारत निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद दतिया विधानसभा का राजनीतिक घमासान तय होगा।मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा के राजनीतिक करियर पर सुप्रीम कोर्ट से निर्णय आने तक तलवार लटक रही है। यदि फैसला पक्ष में नहीं आया तो मंत्री डॉ. मिश्रा अपने बेटे सुकर्ण मिश्रा को चुनाव मैदान में उतार सकते हैं। ऐसे में कांग्रेस की एकजुटता व भाजपा का असंतुष्ट खेमा मिलकर बाजी पलट सकता है। यहां से प्रतिष्ठित सराफा व्यवसायी राधेश्याम अग्रवाल को कांग्रेस से मैदान में उतारने की भी चर्चाएं हैं।जबलपुर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र 1989 तक कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। जिसके बाद भाजपा और आरएसएस ने अपनी पैठ बनाई और यह विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस से भाजपा के गढ़ में तब्दील हो गया। पिछले तीन चुनावों यानी 1998, 2003, 2008 में भाजपा ने जीत का अंतर लगातार बढ़ाया, लेकिन 2013 में हुए चुनावों में कांग्रेस ने अप्रत्याशित रूप से भाजपा के गढ़ में सेंध लगाकर यह सीट जीत ली। हालांकि जीत का अंतर एक हजार वोट से भी कम था। फिर भी भाजपा लहर में हजार से भी कम वोट से हारना भी चौंकाने वाला परिणाम माना गया।।
यहां से मंत्री रह चुके भाजपा नेता हरेंद्रजीत सिंह बब्बू को हराकर कांग्रेस नेता तरुण भनोट ने जीत हासिल की। इससे पहले 2008 के चुनाव में बब्बू ने तरुण को 8900 वोटों से हराया था। विधानसभा के परिणाम बताते हैं कि भाजपा और कांग्रेस को मिले मतों का प्रतिशत घटता-बढ़ता रहा है, लेकिन लोकसभा चुनाव में भाजपा की लीड इस क्षेत्र में पिछले तीन चुनाव में 25 हजार से ज्यादा रही है।
2018 में संभावित प्रत्याशी –
- भाजपा - हरेंद्रजीत सिंह बब्बू (पूर्व मंत्री), प्रभात साहू (पूर्व मेयर), अजय विश्नोई (पूर्व मंत्री), दीपांकर बैनर्जी
- कांग्रेस - तरुण भनोत (विधायक), जगत बहादुर सिंह अन्नू, केवल कृष्ण आहूजा, नरेंद्र सिंह पांधे
अंतिम बार 2 नवंबर,2018 को अपडेट किया गया