भोपाल दक्षिण-पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में जब बात अहम सीटों की होती है तो भोपाल दक्षिण-पश्चिम विधानसभा सीट का नाम जरूर आता है। यह राज्य की हाई प्रोफाइल सीटों में से एक है। यहां के विधायक उमाशंकर गुप्ता शिवराज कैबिनेट में मंत्री हैं। इस सीट पर ज्यादातर भाजपा का ही कब्जा रहा है। भोपाल दक्षिण-पश्चिम विधानसभा सीट में 2लाख 85 हजार मतदाता हैं।भोपाल दक्षिण-पश्चिम सीट पर जाति समीकरण की बात की जाए तो यहां पर 35 हजार ब्राह्मण,25 से 30 हजार कायस्थ, और 30 हजार के करीब मुस्लिम आबादी है।आमतौर पर इस सीट में सबसे बड़े अफसर यानी आईएएस और आईपीएस रहते हैं। इनके अलावाविधानसभा क्षेत्र का अधिकांश मतदाता झुग्गी बस्ती और कर्मचारी वर्गों का है।क्षेत्र की आबादी में स्लम मतदाता भी निर्णायक संख्या में है लेकिन झुग्गियों के हालात बद से बदतर हैं। क्षेत्र के युवाओं में रोजगार की बात करें तो वो भी ना के बराबर है। युवा खुलकर सरकार की नाकामी गिना रहे हैं। पढ़े-लिखे युवाओं का मानना है कि अगर रोजगार मिलता तो बेरोजगार युवक अपराध की तरफ नहीं बढ़ते। कुल मिलाकर भोपाल दक्षिण-पश्चिम विधानसभा में बुनियादी मुद्दों के अलावा जाति समीकरण भी चुनावी समीकरणों को बिगाड़ सकता है।
सीट का चुनावी महत्व
1998 में कांग्रेस के पीसी शर्मा ने यहां कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता था। उसके बाद से इस सीट पर भाजपा ने ही जीत हासिल की है। 2013 के चुनाव में भाजपा के उमाशंकर गुप्ता ने कांग्रेस के संजीव सक्सेना को 18 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। उमाशंकर गुप्ता को इस चुनाव में 71167 वोट मिले थे तो वहीं कांग्रेस के संजीव सक्सेना को 52969 वोट मिले थे।इससे पहले 2008 के चुनाव में भी भाजपा के उमाशंकर गुप्ता ने जीत हासिल की थी। इस बार भी उन्होंने कांग्रेस के ही संजीव सक्सेना को हराया था।2013 के मुकाबले उमाशंकर ने इस चुनाव में ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की थी और 26 हजार से ज्यादा वोटों से संजीव सक्सेना को हराया था।
अंतिम बार 2 नवंबर,2018 को अपडेट किया गया